NSS

राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS)

राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS)

रा.से. यो.  समिति  (NSS Committee)

1      - कार्यक्रम अधिकारी (पु. इ. )

2 प्रो. संगीता बासरानी (सहा. प्रा.)        - कार्यक्रम अधिकारी (म. इ. )

3 श्री  सत्येन्द्र सिंह चौहान  (अ.वि.)            - सहायक

प्रारम्भ-

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मागाँधी के जन्म शताब्दी वर्ष 24 सितम्बर 1969 में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इस आशय के साथ प्रारम्भ की गई कि उच्च शिक्षा से जुड़े विद्यार्थियों में सामाजिक दायित्व, चेतना, स्वप्रेरित अनुशासन के साथ श्रम के प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न हो । विद्यार्थी अपने रिक्त समय एवं अवकाश का सदुपयोग करने हेतु समाज सेवा करें तथा अपनी शिक्षा की पूर्णता है । वास्तविक परिस्थितियों से साक्षात्कार भी कर सकें। जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास हो ।

छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में सन् 1969 में राष्ट्रीय सेवा योजना सर्वप्रथम प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों में शुरू की गई एवं वर्तमान में प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है साथ ही सन् 1988 में 10+2 में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रारम्भ की गई। 1990 में मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय सेवा योजना का पाठ्यक्रम लागू किया गया जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना के पाठ्यक्रम करे ए, बी एवं सी प्रमाण पत्र में विभक्त किया गया।

संगठन -

भारत सरकार, युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय द्वारा प्रवर्तित यह योजना मध्यप्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के नियंत्रण में विश्वविद्यालय द्वारा +2 विद्यालय/उच्च शिक्षा,  तकनीकी,  कृषि,  

चिकित्सा शिक्षा की संस्थाओं में स्थापित रासेयो इकाइयों के माध्यम से चलाई जाती है।

राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रमुख विवरण :-

रा.से. यो. (NSS)

 राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service Scheme)

रा.से. यो का उद्देश्य

समाज सेवा द्वारा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास।

Student personality development through community service.

रा.से.यो. का लक्ष्य

शिक्षा द्वारा समाज सेवा एवं समाज सेवा के द्वारा शिक्षा।

सिद्धान्त वाक्य :

राष्ट्रीय सेवा योजना का सिद्धान्त वाक्य (मोटो)- मैं नहीं आप (नाई बै भवान्) (Not Me But You) यह सिद्धान्त वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम् का सार बताता है, निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता का समर्थन करता है कि हम दूसरे के दृष्टिकोण की सराहना करने वाले बनें तथा प्राणी मात्र के लिये सहानुभूति रखें। इस तरह यह एक सर्वधर्म सम्भाव राष्ट्र से युक्त (प्रजातान्त्रिक) समाज के निर्माण का लक्ष्य प्रस्तुत करता है।

रा.से.यो. का लक्ष्य (विषय धीम) :-

 एन.एस.एस. की नियमित एवं विशेष शिविर गतिविधियों में कार्य हेतु वर्ष 2011-12 के लिये विषय थीम "सार्वजनिक स्वास्थ्य/व्यक्तिगत साफ सफाई" निर्धारित की गई है।

प्रेरणा पुरुष:-

मानव सेवा एवं युवा चेतना के प्रतीक स्वामी विवेकानन्द जी को राष्ट्रीय सेवा योजना का प्रेरणा पुरुष मान्य किया गया है। स्वामी विवेकानन्द जी को वर्ष 1984-85  अन्तर्राष्ट्रीय युवा वर्ष के अन्तर्गत भारत सरकार ने युवाओं का प्रतीक पुरुष मान्य किया तब से ही राष्ट्रीय सेवा योजना में उन्हें अपने प्रतीक पुरुष के रूप में मान्य किया।

रा. से. यो. स्वयंसेवकों के लिए आचरण संहिता :-

1. सभी रा.से.यो. स्वयंसेवक कार्यक्रम अधिकारी द्वारा नियुक्त किये गये दलनायक के मार्गदर्शन में कार्य करेंगे।

2. दल/समुदाय के नेतृत्व के लिए सहयोग एवं विश्वास के पात्र बनेंगे।

3. उन्हें हर स्थिति में असामाजिक एवं अस्वच्छ कार्य-कलापों में दूर रहना चाहिए।

4. वे अपनी दैनन्दिन गतिविधियों/अनुभवों को इस डायरी में संलग्न पृष्ठों पर अभिलेखित करेंगे और समय-समय पर अवलोकनार्थ प्रस्तुत करेंगे।

5. प्रत्येक स्वयंसेवक को एन.एस.एस कार्य के समय एन.एस.एस. बैज धारण करना चाहिए।

 

अभिवादन- एन.एस.एस. के सदस्य परस्पर अभिवादन हेतु (में) "जय हिन्द" का घोष करते हैं।

रा.से. यो. का उद्देश्य :-

"समाज सेवा के माध्यम से व्यक्तित्व का विकास" इसके विशिष्ट उद्देश्य इस प्रकार हैं

1. जिस बस्ती/ग्राम/समुदाय में वे कार्य करते हैं, उसे समझना।

2. बस्ती/ग्राम/समुदाय के परिपेक्ष्य में स्वयं को समझना ।

3. बस्ती/ग्राम / समुदाय की उन समस्याओं एवं आवश्यकताओं की पहचान करना जिनके समाधान में वे सहभागी हो सकते हैं।

4. सामाजिक दायित्व एवं नागरिक बोध (सिविक सेंस) का विकास करना।

5. कठिनाईयों के व्यावहारिक निराकरण ढूँढ़ने में शिक्षा एवं ज्ञान को लागू करना। वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना ।

6. समूह- जीवन हेतु आवश्यक गुणों का विकास करना ।

7. बस्ती / ग्राम / समुदाय की सहभागिता सक्रिय करने हेतु कौशल।

8. प्रजातांत्रिक दृष्टिकोण एवं नेतृत्व गुणों का विकास।

9. संकट एवं दैवी आपदाओं का सामना करने की क्षमता का विकास।

10. राष्ट्रीय एकता को व्यवहारिक स्वरूप देना।