Code of Conduct

छात्रों के लिए आदर्श आचार संहिता

छात्रों के लिए आदर्श आचार संहिता


  1. आदर्श आचार संहिता उच्च शिक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों के अधिकारो कर्तव्यों का दस्तावेज है ।  महाविद्यालय के पाठ्यक्रमो में प्रवेशित सभी विद्यार्थियों पर यह बाध्यकारी होगा कि वे महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयो के नियमो से संबंधित होगें । समय-समय पर इन नियमों में संशोधन होता रहता है।


  1. जानकारी के अभाव में यदि विद्यार्थियों के हित प्रभावित होते हैं तो उससे उत्पन्न होने वाली क्षति के लिए वे  ही स्वयं उत्तरदायी होते हैं । विद्यार्थियों को प्रवेशित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के पूर्व ही विचार कर लेना चाहिए , जिससे संबंधित विषयों की प्रासंगिकता का लाभ उन्हें  मिल सके।  प्रायः उनके द्वारा वांछित विषय और विषय समूह उन्हें दिये जाते हैं किन्तु स्थान रिक्त ना होने की दशा में उपलब्ध अन्य विषयों को उन्हे लेना होगा।


  1. एक बार प्रवेश होने पर शुल्क वापस नहीं किया जायेगा और ना ही विषयों को बदला जायेगा । अत्यन्त आवश्यक स्थिति में विश्वविद्यालय के प्रचलित नियमों के अनुसार व्यवस्था की जायेगी । किन्तु प्राचार्य का नियम सर्वमान्य होगा ।


  1.  प्रवेश के लिए निर्धारित आवेदन प्रारूप के अतिरिक्त कोई अन्य प्रारुप मान्य नहीं होगा । उसके लिए मान्य की गई आहर्यताओं  के बिना प्रवेश संभव नही होगा। इस हेतु उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किये गये निर्देश की प्रमाणिक और मान्य होंगे। इन नियमों की व्याख्या करने का अधिकार आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग को है ।


  1. सेमेस्टर प्रणाली में प्रथम सेमेस्टर में प्रवेशित विद्यार्थी का प्रवेश प्रावधिक होगा । प्रवेश समिति द्वारा अनुशासित और हस्ताक्षरित आवेदन ही प्रवेश के लिए मान्य होगा । किसी विद्यार्थी की योग्यता  के आधार पर किसी भी स्तर पर किसी भी प्रकार के विवाद में प्रवेश समिति की अनुशंसा को मान्य किया जायेगा ।


  1. विद्यार्थी का प्रवेश तभी माना जायेगा जब वह प्रवेश हेतु सभी आवश्यक दस्तावेज को समय सीमा में उपलब्ध करायेगा। विलंब से उपलब्ध कराने वाले विद्यार्थियों का प्रवेश निरस्त किया जा सकता है इसलिए यह विद्यार्थियों की जिम्मेदारी होगी  कि वह अपनी वैद्यता को सुनिश्चित करे ।


  1. यदि विद्यार्थी ने प्रवेश के समय पर अपने दस्तावेज महाविद्यालय अथवा प्रवेश समिति को उपलब्ध नहीं कराये है तो ऐसी स्थिति में उनकी वैद्यता के विनिश्चय का अधिकार प्राचार्य के पास सुरक्षित रहेगा।


  1. शासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों का राजनीतिक दलो में जुड़ाव आपत्तिजनक माना जायेगा और नियमानुसार कार्यवाही भी की जायेगी ।


  1. प्रत्येक विद्यार्थी प्राचार्य, शिक्षकों, कर्मचारियों और अपने सहपाठियों से शालीन एवं विनम्र व्यवहार करेंगे।


  1. प्रत्येक विद्यार्थी अपना पूरा ध्यान महाविद्यालय द्वारा निर्धारित व्यवस्था के अन्तर्गत अपने ज्ञानार्जन में लगायेंगे । साथ ही महाविद्यालय द्वारा आयोजित / अनुमोदित गैर शैक्षणिक कार्यक्रमों में पूर्ण सहयोग करेंगे ।

  2. छात्र को महाविद्यालय की समय सारणी अनुसार कक्षा में समय पर पहुंचना चाहिए  तथा पूरी कक्षा अवधि में उपस्थित रहना चाहिए । कक्षा की अवधि के दौरान परिसर में घूमना सख्त वर्जित है।

  3. आंतरिक परीक्षा व बाहरी परीक्षा में उपस्थित होने के लिए छात्र की कक्षा में 75% उपस्थिति अनिवार्य है ।

  4. प्रत्येक छात्र को प्रवेश के पश्चात पहचान पत्र प्राप्त करना होगा, जिसमें उसकी तस्वीर लगी हो तथा जब भी वह महाविद्यालय परिसर में हो उसके पास वह पहचान पत्र होना चाहिए ताकि निरीक्षण या मांग किए जाने पर उसे प्रस्तुत कर सके ।

  5. रैगिंग के प्रति संस्थान की जीरो टॉलरेंस नीति है, महाविद्यालय परिसर में रैगिंग पर प्रतिबंध है।  कोई भी छात्र रैगिंग करने या रैगिंग के लिए उकसाने का दोषी पाए जाने पर दंडित किया जा सकता है तथा घटना की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए , संस्थान से दोषियों को बर्खास्त भी किया जा सकता है तथा स्थानीय पुलिस अधिकारियों के पास मामला दर्ज किया जाएगा। 

  6. महाविद्यालय किसी भी तरह के लैंगिक भेदभाव और यौन शोषण के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है; इस तरह की गतिविधियों में लिप्त किसी भी छात्र को सीधे कॉलेज से बर्खास्त कर दिया जाएगा और उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाएगी।

  7. छात्रों को साफ-सुथरी हेयर स्टाइल के साथ सम्मानजनक औपचारिक पोशाक पहननी चाहिए।

  8. प्रमाण पत्र, प्रशंसापत्र आदि जिन पर प्राचार्य के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है ; ऐसे दस्तावेज़ या आवेदन के लिए छात्र को पहले संबंधित समिति या उनके  संरक्षक शिक्षक से संपर्क करना चाहिए  । 

  9. कॉलेज के प्राचार्य की पूर्व अनुमति के बिना संस्थान में कोई सोसायटी या एसोसिएशन नहीं बनाया जाएगा तथा किसी भी व्यक्ति को बैठक संबोधित करने के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा ।

  10.  कोई भी छात्र  प्राचार्य की अनुमति के बिना  संस्थान से संबंधित मामलों के बारे में कोई सूचना प्रकाशन के लिए नहीं देगा या प्रशासन को नहीं लिखेगा ।

  11.  छात्रों को अपनी किताबें, कीमती सामान और अन्य सामान कक्षा में नहीं छोड़ना चाहिए। खोई हुई संपत्ति के लिए संस्थान जिम्मेदार नहीं है।  हालाँकि, छात्र  कार्यालय में संपत्ति / सामग्री के खो जाने का दावा कर सकता है , यदि यह संस्थान के कार्यालय में जमा की जाती है।  

  12. छात्रों को समय-समय पर कार्यालय द्वारा की गई महत्वपूर्ण घोषणाओं के लिए नियमित रूप से नोटिस बोर्ड पढ़ना चाहिए ।अज्ञानता या नोटिस नहीं पढ़ने के आधार पर उन्हें माफ नहीं किया जाएगा या कोई रियायत नहीं दी जाएगी ।

  13. विद्यार्थी महाविद्यालय भवन, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, छात्रावास आदि में शांति, सुरक्षा और स्वच्छता बनाये रखने में पूर्ण सहयोग करेंगे ।

  14. महाविद्यालय की सम्पत्ति अर्थात् भवन साज-सज्जा, विद्युत व्यवस्था, उपकरण आदि को किसी भी रूप में क्षति नहीं पहुचायेंगे। 

  15. कोई भी विद्यार्थी किसी असामाजिक कृत्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न तो भाग लेगा और न ही दूसरों को उकसायेगा। 

  16. विद्यार्थी शिकायत निवारण प्रकोष्ठ / शिकायत पेटी के माध्यम से अपनी समस्या महाविद्यालय प्रशासन तक पहुँचा सकते हैं। विद्यार्थी अपनी शिकायत या समस्या के समाधान के लिए पहले महाविद्यालय द्वारा नियुक्त शिक्षक अभिभावक से संपर्क करेंगे । समाधान न होने पर प्राचार्य के समक्ष पूर्ण अनुशासन से शांतिपूर्वक अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं ।

  17.  विद्यार्थी अपनी समस्याओं के समाधान के लिये हिंसा आंदोलन का मार्ग नहीं अपनायेंगे।

  18.  महाविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार की राजनैतिक गतिविधियां संचालित करना वर्जित है।

  19. प्रत्येक विद्यार्थी महाविद्यालय द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं में पूरी तरह सहयोग देगा और भाग लेगा ।

  20. परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने या करने का प्रयास करना या सहायक होना अनुचित आचरण माना जायेगा एवं उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी।

  21. छात्रों को सरल, नियंजन और मितव्ययी जीवन व्यतीत करना चाहिये । अतएव  महाविद्यालय एवं छात्रावास की सीमाओं में धूम्रपान, किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन सर्वथा वर्जित है।

  22. विद्यार्थी को किसी अनैतिक/ आपराधिक गतिविधियों में संलग्न पाए जाने पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी। कॉलेज के प्राचार्य संस्थान में अंतिम अनुशासनात्मक प्राधिकारी हैं।


महत्त्वपूर्ण (विशेष):


प्रवेश-  

जाली प्रमाण पत्रों गलत जानकारी जानबूझकर छिपाये गये प्रतिकूल तथ्यों प्रशासकीय कार्यालयीन असावाधानीवश यदि किसी आवेदक को प्रवेश मिल गया है , तब ऐसे प्रवेश को निरस्त करने का पूरा अधिकार प्राचार्य को है।


 उपस्थिति


1- म०प्र० विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अधीन बनाये गये अध्यादेश क्रमांक 6 के अनुसार महाविद्यालय के नियमित विद्यार्थी को परीक्षा में सम्मिलित होने की पात्रता के लिये 75 प्रतिशत उपस्थिति आवश्यक है। इस प्रावधान का पालन दृढता से किया जायेगा। उपस्थिति पूरी न होने पर परीक्षा में नियमित विद्यार्थी के रूप में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं होगी।


2- प्रवेश लेकर किसी समुचित कारण पूर्व अनुमति या पूर्व सूचना के बिना लगातार एक माह या अधिक समय अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थी का प्रवेश निरस्त करने का अधिकार प्राचार्य को है।


रैगिंग : माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 27.11.06 संदर्भ एस.एल.पी. 2495/06 केरल विश्वविद्यालय विरूद्ध महाविद्यालय प्राचार्यों की परिषद तथा एस.एल.पी. क. 24296-24299 / 2004, डब्ल्यू.पी. (सी.आर.सी.) नं. 173 / 2006 तथा एस.एल.पी. क. 14356/2005 के अनुसार रैगिंग एक दण्डनीय अपराध है। महाविद्यालय या छात्रावास परिसर में या अन्यत्र कहीं भी रैगिंग लेना पूरी तरह प्रतिबंधित है। रैगिंग के लिये दोषी विद्यार्थी को महाविद्यालय से निष्कासित किया जाकर उसके विरूद्ध कठोर निषेधात्मक वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। वरिष्ठ विद्यार्थी इसका ध्यान रखें। 


दण्ड : मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अधीन बनाये गये अध्यादेश क्र. 7 की धारा 13 के अनुसार महाविद्यालय परिसर या बाहर अनुशासन भंग किये जाने पर दोषी विद्यार्थी के विरूद्ध निम्नानुसार दण्ड का प्रावधान है :

1. कक्षाओं से निलम्बन

2. महाविद्यालय से निष्कासन 

3.वि.वि. / स्वशासी परीक्षा में सम्मिलित होने से रोकना।


एन्टी रैंगिंग नियावली / दण्ड प्रावधान


1. रैगिंग एक दण्डनीय अपराध है। रैंगिग गैर कानूनी है।

2. रैगिंग अमानवीय है। रैगिंग कुप्रथा है ।

3. रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र / छात्राओ का संस्था से निष्कासन किया जायेगा ।

4. रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र / छात्राओ के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जा सकता है।

5. रैगिंग में पाए गए छात्र / छात्राओ को अगले 5 वर्ष तक किसी भी संस्था में प्रवेश नही दिया जा सकता है।

6. रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र / छात्राओ के नाम मीडिया के माध्यम से समाज के हर तबके को दिये (जायेगे) जा सकते है ।

7. रैंगिग से संबंधित सूचना देने वाले छात्र / छात्राओ का नाम गुप्त रखा जायेगा ।

8. दोषियो पर रैगिंग रेग्यूलेशन एक्ट के तहत कार्यवाही की जायेगी

9. अगर संस्था रैगिंग की शिकायत करने वाले छात्रो की मदद नही करता है तो पीड़ित निःसंकोच यू०जी०सी० के पास अपनी बात रख सकता है।

10. रैगिंग के खिलाफ सबसे कडी सजा दोषी को तीन साल तक सश्रम कैद है।