अनुशासन समिति/ एंटी-रैगिंग समिति:-
1. प्रो. अजयराज सिंह राठौर (सहा.प्रा.) -संयोजक
2. डॉ. देवेन्द्र सिंह बागरी - सहसंयोजक
3. प्रो. प्रीति वैश्य (सहा.प्रा.)- सदस्य
4. श्री दुर्गेश द्विवेदी (अ.वि.) - सदस्य
5. श्री नन्द लाल गुप्ता (अ.वि.)- सदस्य
6. श्री सत्येन्द्र सिंह चौहान (अ.वि.)- सदस्य
7. श्री संजीव कुमार द्विवेदी, (अ.वि.)- सदस्य
8. श्री कृष्णचन्द सोनी ( अ.वि.)- सदस्य
9. श्री संतोष सिंह, (प्र. शा. तक.)- सदस्य
10. श्री रामायण प्रसाद वर्मा (अ.क्रीड़ाधिकारी) - सदस्य
एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन नंबर- 18001805522
रैगिंग : माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 27.11.06 संदर्भ एस.एल.पी. 2495/06 केरल विश्वविद्यालय विरूद्ध महाविद्यालय प्राचार्यों की परिषद तथा एस.एल.पी. क. 24296-24299 / 2004, डब्ल्यू.पी. (सी.आर.सी.) नं. 173 / 2006 तथा एस.एल.पी. क. 14356/2005 के अनुसार रैगिंग एक दण्डनीय अपराध है। महाविद्यालय या छात्रावास परिसर में या अन्यत्र कहीं भी रैगिंग लेना पूरी तरह प्रतिबंधित है। रैगिंग के लिये दोषी विद्यार्थी को महाविद्यालय से निष्कासित किया जाकर उसके विरूद्ध कठोर निषेधात्मक वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। वरिष्ठ विद्यार्थी इसका ध्यान रखें।
दण्ड : मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अधीन बनाये गये अध्यादेश क्र. 7 की धारा 13 के अनुसार महाविद्यालय परिसर या बाहर अनुशासन भंग किये जाने पर दोषी विद्यार्थी के विरूद्ध निम्नानुसार दण्ड का प्रावधान है :
1. कक्षाओं से निलम्बन
2. महाविद्यालय से निष्कासन
3.वि.वि. / स्वशासी परीक्षा में सम्मिलित होने से रोकना।
एन्टी रैंगिंग नियावली / दण्ड प्रावधान
1. रैगिंग एक दण्डनीय अपराध है। रैंगिग गैर कानूनी है।
2. रैगिंग अमानवीय है। रैगिंग कुप्रथा है ।
3. रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र / छात्राओ का संस्था से निष्कासन किया जायेगा ।
4. रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र / छात्राओ के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जा सकता है।
5. रैगिंग में पाए गए छात्र / छात्राओ को अगले 5 वर्ष तक किसी भी संस्था में प्रवेश नही दिया जा सकता है।
6. रैगिंग में दोषी पाए गए छात्र / छात्राओ के नाम मीडिया के माध्यम से समाज के हर तबके को दिये (जायेगे) जा सकते है ।
7. रैंगिग से संबंधित सूचना देने वाले छात्र / छात्राओ का नाम गुप्त रखा जायेगा ।
8. दोषियो पर रैगिंग रेग्यूलेशन एक्ट के तहत कार्यवाही की जायेगी
9. अगर संस्था रैगिंग की शिकायत करने वाले छात्रो की मदद नही करता है तो पीड़ित निःसंकोच यू०जी०सी० के पास अपनी बात रख सकता है।
10. रैगिंग के खिलाफ सबसे कडी सजा दोषी को तीन साल तक सश्रम कैद है।